आई. पी. सी. कै अनुसार अपराध ।

डा लोकेश कुमार भारद्वाज @9450125954



विधि विरुद्ध  जन विरोधी किया गया कार्य अपराध है।  एवम आई पी सी की धारा 40 के द्वारा दण्डनीय है ।

दूसरे शब्दों में  कानून द्वारा निषिद्ध जन  कल्याण के लिए हानिकारक  कृत्य अपराध है। 

ईस मानवीय आचरण को समाज और कानून  अस्वीकार करता है। और कानून द्वारा निषिद्ध है, और सज़ा प्रविधानित है ।

प्रसिद्ध न्यायविदों के अनुसार 

बेन्थम  "अपराध वह है जिसे विधानमंडल ने  बुरे कारणों से प्रतिबंधित किया है।"

ऑस्टिन "यदि कोई गलती घायल पक्ष और उसके प्रतिनिधियों के विवेक पर की जाती है तो वह सिविल क्षति है; यदि कोई गलती संप्रभु या उसके अधीनस्थों द्वारा की जाती है तो वह अपराध है।"

पॉल डब्ल्यू. टेपन "कानून के उल्लंघन में जानबूझकर किया गया कार्य या चूक, बिना किसी औचित्य के और कानून द्वारा गुंडागर्दी या दुष्कर्म के रूप में स्वीकृत।"

ब्लैकस्टोन "किसी सार्वजनिक कानून का उल्लंघन करते हुए किया  गया कार्य" अपराध   के रूप में परिभाषित किया है, जो  प्रतिबंधित है । 

अपराध मूल  रूप में सार्वजनिक अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लंघन" के रूप में भी परिभाषित किया है।

ब्लैकस्टोन के संपादक स्टीफन ने "अपराध कानून का उल्लंघन है, ऐसे उल्लंघन को बुरी प्रवृत्ति के संदर्भ में माना जाता है।"

स्टीफन "अपराध एक ऐसा कार्य है जो कानून द्वारा निषिद्ध और समाज की नैतिक भावनाओं के विरुद्ध  है।"

केनी "अपराध वे गलत कार्य हैं जिनकी स्वीकृति दंडात्मक होती है और किसी भी तरह से क्षमा योग्य नहीं होती; लेकिन यदि कानून द्वारा क्षमा योग्य हो तो केवल राजतंत्र द्वारा क्षमा योग्य होती है।" (यहां, 'स्वीकृति' शब्द का अर्थ दंड है, और 'क्षम्य' शब्द का अर्थ राजतंत्र द्वारा क्षमा करना है।)

कीटन "अपराध ऐसा कोई भी अवांछनीय कार्य है जिसे राज्य किसी पीड़ित व्यक्ति के विवेक पर उपचार छोड़ने के बजाय, दण्ड लगाने की कार्यवाही शुरू करके सुधार समझता है।"

मिलर अपराध "किसी ऐसे कार्य का किया जाना या न किया जाना है जिसे कानून राज्य द्वारा अपने नाम से कार्यवाही करके दण्ड दिए जाने की चेतावनी के तहत निषिद्ध या आदेशित करता है।"


पैटन  "किसी अपराध के सामान्य लक्षण यह हैं कि राज्य के पास प्रक्रिया को नियंत्रित करने, दंड माफ करने या दंड देने की शक्ति होती है।"

निष्कर्ष के रूप मे अपराध की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। प्रत्येक विद्वान अपने विचारों के अनुसार अपराध  परिभाषित किया है। एवम विषय-वस्तु  की भिन्नता के कारण परिभाषित करने के सभी प्रयास विफल हो गए हैं।


टेरेंस  "अपराध पाप की तरह निरपेक्ष नहीं है, जिसे परिभाषित नही  किया जा सकता है और जिसका अस्तित्व मनुष्य के कहने और करने की सीमाओं से परे है। यह अनिवार्य रूप से व्यवहार की एक सापेक्ष परिभाषा है जो लगातार बदलती रहती है। "

विधि विरुद्ध दण्ड प्रविधानित कार्य अपराध है ।

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