ट्रेसपास अर्थ, प्रकृति, प्रकार, बचाव और मामले

डा. लोकेश शुक्ल  कानपुर 9450125954

सामान्य परिचय 



        ट्रेसपास कानून आमतौर पर एक अपेक्षाकृत सीधे सिद्धांत के रूप में है जो जमींदारों को अवसरवादी  ट्रेसपासर द्वारा घुसपैठ से बचाता है। ट्रेसपास में सिविल और आपराधिक दोनों तत्व शामिल हैं।  आपराधिक ट्रेसपास व सिविल ट्रेसपास अलग अलग है ट्रेसपास आपराधिक है तो चोट का कारण बन सकता है, यानी, यदि कोई शारीरिक हमला होता है तो कानूनी अधिकारों का उल्लंघन और साथ ही साथ किसी भी व्यक्ति और संपत्ति को नुकसान हो सकता है।

        किसी व्यक्ति द्वारा शरीर या संपत्ति के साथ अनुचित  हस्तक्षेप पर ट्रेसपास का आरोप लगाया जा सकता है।  ट्रेसपास के आवश्यक घटक इरादा है। अनुचित  हस्तक्षेप मे जानबूझकर दूसरे को परेशान करने के इरादा होता है।

        प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर और चल  या अचल संपत्ति की रक्षा चाहता है, व नकारात्मक तत्वों के प्रति संवेदनशील व है। किसी अचल संपत्ति में मालिक या कानूनी प्राधिकारी की अनुमति के बिना प्रवेश अतिक्रमण है, यदि अतिक्रमण का इरादा गलत है तो अपराध है. उक्त के लिये सजा का प्राविधानित है । अतिक्रमण से मामूली नुकसान पर भी हर्जाना आवश्यक है।. । 

ट्रेसपास के प्रकार
व्यक्ति के खिलाफ ट्रेसपास

यह किसी व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति के शरीर केा बलपूर्वक  क्षति और हानि,  गलत इरादे से दूसरे के अधिकार का उल्लंघन और नुकसान या गलत लाभ ट्रेसपास है, इसे जानबूझकर किया गया माना जाता है, भले ही गलत करने वाले को यह पता न हो कि यह गलत है।

1. हमला

यह शरीर की चोट और अन्य क्षति की आशंका है बैटरी के लिए प्रस्तावना है। कुछ कार्यों और संकेतों को दूसरे व्यक्ति द्वारा हमले का सूचक बनाया जा सकता है। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों होते है। यह व्यक्ति स्वयं या किसी तीसरे व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। इसमे आशंका पैदा करने वाले कारक  की आवश्यकता होती है क्योंकि यह आवश्यक है कि कोई व्यक्ति किसी ऐसी चीज को देखने के बाद विचार करने में सक्षम हो जिससे भय पैदा कर रहा हो। भारतीय दंड संहिता  की धारा 351 हमले को परिभाषित करती है।

हमले की अनिवार्यताओं में शामिल हैं
  1. इरादा
  2. उद्देश्य को पूरा करने की स्पष्ट क्षमता
  3. आशंका
  4. खतरे का ज्ञान

एक व्यक्ति एक बंदूक को दिखा कर व्यक्ति के पीछे से ट्रिगर करने वाला होता है, जो व्यक्ति के लिए दूरदर्शित नहीं होता है। इसे हमला नहीं कहा जा सकता क्योंकि उस व्यक्ति के मन में यह आशंका नहीं थी कि वह कोई ऐसा कार्य कर रहा है जिससे उसके मन में भय पैदा हो जायेगा।

2. बैटरी

    वैध औचित्य के बिना दूसरे व्यक्ति पर बल का प्रयोग बैटरी है। बैटरी में किसी अन्य व्यक्ति को शत्रुतापूर्ण या उसकी इच्छा के विरुद्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्पर्श करना शामिल है। प्रत्यक्ष बल किसी व्यक्ति को थप्पड़ मारना है जबकि अप्रत्यक्ष बल किसी व्यक्ति के पीछे कुत्ते को भगाना या किसी व्यक्ति पर थूकना है। भारतीय दंड संहिता की धारा 350 के अनुसार बैटरी आपराधिक बल के उपयोग है। 

  1. बैटरी की अनिवार्यताओं में शामिल हैं
  2. वैध औचित्य के बिना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क
  3. बल प्रयोग
  4. यह स्वैच्छिक होना चाहिए
  5. बाजार में आकस्मिक स्पर्श या धक्का गलत नहीं है और यह बैटरी  नहीं है।

3. झूठा कारावास

किसी को सभी संभावित दिशाओं से गैरकानूनी रूप से प्रतिबंधित कर कुछ अवधि के लिए आगे बढ़ने से रोका जाता है, चाहे उसकी अवधि कितनी भी न्यून हो, इसे झूठा कारावास कहा जाता है। भारतीय दंड संहिता में इसे झूठा  कारावास के नाम से परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22 गैरकानूनी गिरफ्तारी रोकने के लिये राज्य पर उचित प्रक्रिया का पालन करने का दायित्व डालता है। सीआरपीसी की धारा 43 मे निजी व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी अधिकार देती है यदि अपराधी एक घोषित आदतन अपराधी है और एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध का आरोपित है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूर्ण प्रतिबंध गैर कानूनी है ।

शरीर के ट्रेसपास से बचाव

वादी की सहमति यदि कार्य के लिए पार्टियों के बीच आपसी समझ हो तो जब वादी ने विशिष्ट कार्य पर प्रतिवादी के साथ सहमति व्यक्त की तो प्रतिवादी ट्रेसपासर नहीं है। अंशिक लापरवाही में वादी की लापरवाही भी शामिल होती है, प्रतिवादी के दायित्व को उस सीमा तक कम या समझौता किया जा सकता है या दायित्व को विभाजित किया जा सकता है।

आत्मरक्षा के लिये एक व्यक्ति या किसी अन्य ऐसे व्यक्ति या घटनाओं से खुद को बचाने के लिए संपत्ति पर ट्रेसपास कर सकता है। वादी की संपत्ति को घुसपैठ कर उपयोग करते समय आनुपातिकता और संभावना को ध्यान में रखा जाता है और प्रतिवादी को यह साबित करना होगा कि प्रतिवादी के पास वादी की संपत्ति में घुसपैठ करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।

वैधानिक अधिकारी तलाशी और जब्ती करने के लिए कानून द्वारा विवश अधिकारियों और ऐसे मामलों में जहां शारीरिक तलाशी करने के लिए सहमति ली जाती है, उन्हें शरीर पर ट्रेसपास नहीं माना जाता है। सार्वजनिक स्थानों और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग की जाने वाली निजी संपत्ति में प्रवेश सामाजिक और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए ट्रेसपास नहीं है।

संपत्ति के खिलाफ ट्रेसपास
1. अचल संपत्ति जैसे माल के खिलाफ ट्रेसपास

यह गलत तरीके से लेना या दूसरे के सामान में जबरदस्ती दखल देना है। यह भूमि में ट्रेसपास से भिन्न है, माल के ट्रेसपास के लिए गलत इरादे या लापरवाही आवश्यक नहीं है। माल के ट्रेसपास अलग है, जैसे वादी द्वारा रेलवे के एक क्लॉक रूम में दिए गए माल के नुकसान के उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है, लेकिन कर्मियों ने माल को देने के बजाय उसे फेंक दिया और माल को खराब कर दिया।

2. अचल संपत्ति के खिलाफ ट्रेसपास जैसे भूमि 

लीगल मैक्सिम ‘क्वायर क्लॉसम फ्रेगिट’ भूमि को इस रूप में परिभाषित करती है, भूमि में न केवल सतह और उस पर कोई भवन शामिल है बल्कि हवाई क्षेत्र और सबसॉइल भी शामिल है, जहां तक ये वादी पर निहित हैं। अन्य लोगों की भूमि के साथ सीधे हस्तक्षेप को दंडित करने के लिए भूमि के ट्रेसपास की कार्रवाई होती है।

ट्रेसपास मुख्य रूप से कब्जे के खिलाफ है और कई बार मालिक के खिलाफ होता है। एक मामले में अदालत ने कहा कि “कानून में सही स्थिति, हमारी राय में, इस प्रकार स्थापित की जा सकती है कि संपत्ति पर प्रवेश नाराज या अपमान के इरादे से किया गया था, यह आवश्यक है कि अदालत को संतुष्ट होना चाहिए कि प्रवेश का उद्देश्य नाराजगी, धमकी या अपमान करना नहीं है प्रवेश का स्वाभाविक परिणाम नाराजगी धमकी या अपमान होने की संभावना थी, और यह संभावित परिणाम प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को पता था, अदालत को सभी परिस्थितियों पर विचार कर इसके प्राकृतिक परिणाम नाराजगी, धमकी या अपमान आदी को शामिल किया था।

किसी को भी ट्रेसपासर को बेदखल करने का अधिकार नहीं है यदि वह संपत्ति के एक निश्चित कब्जे में है और उसे तब तक बेदखल नहीं किया जा सकता जब तक कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है। कब्जा जिसे एक ट्रेसपासर मालिक के खिलाफ बचाव करने का हकदार है, एक पर्याप्त लंबी अवधि में विस्तारित  और मालिक द्वारा प्राप्त किया गया एक स्थायी कब्जा होना चाहिए। कब्जे के आकस्मिक कार्य स्वामी के कब्जे को बाधित करने पर प्रभाव नहीं होगा।

उदाहरण के लिए, निर्देशात्मक सुगमता के सिद्धांत के तहत, एक संपत्ति का मालिक अन्य सभी व्यक्तियों को उसकी भूमि पर कब्जा करने से रोकने का पूर्ण अधिकार खो देता है जब एक गैर-मालिक ने उस भूमि का खुले तौर पर, शांतिपूर्वक, निरंतर और दावे के तहत किसी विशेष राज्य द्वारा निर्धारित अवधि के लिए उपयोग किया है। बंबई के उच्च अदालत द्वारा बंदू बनाम नाबा में यह माना गया था कि विशिष्ट राहत अधिनियम 1987 की धारा 9 द्वारा प्रदान किए गए प्रावधान के अलावा एक मालिक जो दूसरे व्यक्ति को बेदखल करता है, उसे ट्रेसपासर के रूप में नहीं माना जा सकता है।

  1. ट्रेसपास के अन्य मामले

सेंटिनी सेर्मिका प्राइवेट लिमिटेड बनाम कुंची कृष्ण मोहन और अन्य वैधानिक अधिकारी अपीलकर्ता के परिसर में तलाशी और जब्ती ट्रेसपास का कार्य नहीं है। संपत्ति पर सच्चाई का पता लगाने के लिए पर्याप्त कानूनी समर्थन के साथ किये गये किसी भी प्रक्रिया को ट्रेसपास मान जाता है।

अमित कपूर बनाम रमेश चंदर और अन्य केवल इसलिए कि पार्टियों के बीच एक सिविल लेनदेन था, यह अपराध के आरोपों की स्थिति को नहीं बदलेगा।

समीरा कोहली बनाम डॉ. प्रभा मनचंदा और अन्य एक मरीज पर हिस्टेरेक्टॉमी और सल्पिंगो-ओफोरेक्टॉमी का प्रदर्शन डॉक्टर द्वारा अनधिकृत आक्रमण था, इसे हमला और परिणामी बैटरी माना जा सकता है। उसकी सहमति की आवश्यकता थी क्योंकि वह वयस्क थी हालांकि डॉक्टर ने रोगी के सर्वोत्तम हित में काम किया और मुआवजे को कम करने वाला माना जा सकता है, परन्तु न्याय के हित में, रोगी मुआवजे का हकदार है।

राजिंदर कुमार मल्होत्रा बनाम इंडियन बैंक और अन्य याचिकाकर्ताओं को नीलामी के माध्यम से कियोस्क संचालित करने के लिए लाइसेंस दिया गया था,  लाइसेंस अवधि की समाप्ति के बाद सरकारी निगम द्वारा उनका अधिकार छीन लिया। यहां अदालत ने लाइसेंस और पट्टे के बीच अंतर किया और कहा कि लाइसेंस से कब्जा नहीं बनता है और लाइसेंस को रद्द करने और याचिकाकर्ता को बेदखल करने का अधिकार प्राधिकरण  का है यदि कोई अनियमितता या विवेकाधीन कार्य उन्हें ऐसा करने के लिए निर्देशित करता है। एक पट्टा उस व्यक्ति पर स्वामित्व, अनुल्लंघनीय स्थायी अधिकार बनाता है जिसने प्रदान किया गया है, जबकि लाइसेंस का आधार अलग है। एक पट्टे पर दी गई संपत्ति का वैध औचित्य और सार्वजनिक आवश्यकता के प्रोत्साहन के बिना ट्रेसपास नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, एक लाइसेंस न तो स्वामित्व बनाता है और न ही उस व्यक्ति के पक्ष में अधिकार रखता है जिसे यह प्रदान किया गया है। नतीजतन, यह नहीं कहा जा सकता है कि संपत्ति पर अतिक्रमण करके याचिकाकर्ता के अधिकार को रद्द किया गया है।

विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 9 किरायेदार के कब्जे को किरायेदारी की समाप्ति के बाद भी मालिक द्वारा वंचित होने से बचाती है। हालांकि, किरायेदार को बसने की जरूरत है, और यह कब्जा कानूनी है और कानून द्वारा सुरक्षित है।

बाविसेट्टी वेंकट सूर्य राव बनाम नंदीपति मुथैया वादी पर प्रतिवादी की एक निश्चित राशि बकाया थी जिसे वह भुगतान करने में असमर्थ था। प्रतिवादी वादी वसूली राशि के लिए कुछ सामान बेचने के उद्देश्य से घर में सोने के मूल्य का मूल्यांकन करने के लिए सुनार बुलाया, मूल्यांकन के समय घर पर खड़े व्यक्ति ने प्रतिवादी को देने के लिए दूसरे व्यक्ति को रूपये लिए, और प्रतिवादी द्वारा राशि लेने के बाद वादी ने उस पर हमले का मुकदमा दायर कर दिया।

चूंकि प्रतिवादियों ने सुनार के आने के बाद कुछ नहीं कहा और कुछ नहीं किया और सुनार द्वारा वादी को बल प्रयोग की धमकी इतनी देर से थी की वादी को तत्काल  डर गया परन्तंु यह हमला नहीं था।

बर्ड बनाम जोन्स  मे वादी जाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन प्रतिवादी ने दावेदार के रास्ते को अवरुद्ध  करने और उसे आगे क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए दो पुलिस अधिकारियों को लगा दिया था। उससे कहा गया था कि वह वापस आ सकता है लेकिन आगे नहीं जा सकता है। आधे घंटे के बाद दावेदार ने आगे बढ़ने की कोशिश की, जिस पर उसने प्रतिवादी पर हमला किया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को एक कमरे में बंद करने के समान ही उसे एक जगह पर रहने के लिए मजबूर करना झूठा कारावास है। इसमें छूने की भी जरूरत नहीं है।  किसी व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकना और वापस जाने के लिए कहना झूठा कारावास नहीं है, भले ही उन्हें रोकना गैरकानूनी हो। इसमें संदेह नहीं है कि व्यक्ति को गलत का सामना करना पड़ा परन्तु यह  झूठा कारावास नही है तो उसे हमला या बैटरी का सामना करना पड़ा है या छुआ जाता है क्योंकि वह अतीत को पाने की कोशिश करता है। यह झूठा कारावास नहीं है।


रीड बनाम कोकर मे वादी और उसके आदमियों ने उसे घेर लिया, अपनी आस्तीन ऊपर कर ली, और धमकी दी कि वह अगर भागा तो उसकी गर्दन तोड़ देंगे। वह किराया संग्राहक था जिसने रीड की कार्यशाला में प्रवेश किया और किराए का भुगतान होने तक बाहर जाने से मना किया था। यह माना गया कि यह एक हमला था खतरे से जुड़ी शर्त इसे रद्द करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।

निष्कर्ष 

    सामान्य दिनचर्या मे एक दिन में अनेक बार ट्रेसपास का सामना होता है, लेकिन  वास्तविक ट्रेसपास कार्य की प्रकृति, संपत्ति, हानि और वादी पर प्रभाव पर आधारित है। यदि कार्य की प्रकृति निजी संपत्ति से बाहर करने, सामान्य कार्य से बाधित करने व शरीर को क्षति के लिए किया गया है, तो नुकसान की भरपाई के लिए सभी संभावित उपायों का मूल्यांकन किया  जाना चाहिए। ट्रेसपास विवादों का निर्णय करते समय, अदालतों को निम्नलिखित चार कारकों का मूल्यांकन करना चाहिए ।
  1. ट्रेसपास की प्रकृति और चरित्र
  2. सुरक्षित संपत्ति की प्रकृति
  3. ट्रेसपास की राशि और पर्याप्तता 
  4. मालिक की संपत्ति के हित पर ट्रेसपास का प्रभाव।
    यह उन आयामो को समझने में मदद करता है जिससे ट्रेसपास कानून अपने घेरे में लेता है ताकि शिकंजा ढीला हो और मामलों और स्थितियों को प्रभावशाली तरीके से हल किया जा सके। ट्रेसपास का मूल्यांकन करने और प्रासंगिक सिद्धांतों को लागू करके मामलों को हल करने के लिए अर्थ, प्रकृति, प्रकार, व बचाव को समझने की आवश्यकता है।

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