आदि से आधुनिक हिन्दू कानून तक का इतिहास

डा. लोकेश शुक्ल  कानपुर 9450125954

आधुनिक   हिन्दू  कानून 



       हिन्दू कानून का सामान्य अर्थ प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत ग्रन्थों में पाए जाने वाले विधिक सिद्धान्तों, न्यायशास्त्र एवं विधि की प्रकृति से है। यह विश्व की प्राचीनतम न्याशास्त्र-सिद्धान्तों में से एक है। प्राचीन भारतीय साहित्य में कनून लिए धर्म शब्द का उपयोग होता था जो कानून से अधिक व्यापक था।

    भारत में अठारहवीं शताब्दी से पहले कानूनो व अधिनियम के सन्र्दभ मे साक्ष्य बहुत कम हैं। मराठा राजाओं ने अधीन हिन्दू  और इस्लामी कानूनी ढांचे का एक मिश्रित रूप बनाया गया था। दक्षिण भारत मे मंदिरों प्रवेश विषयक कानून संगठनो द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित कर लागू किये गये थे ।

    मध्यकालीन भारत के अभिलेख मे न्यायालयों का उल्लेख नही है, परन्तु पारंपरिक वैध व्यवहार के लिए विभिन्न प्रकार के प्रमाण है । इन प्रमाणों में इस अवधि के विभिन्न शिलालेख शामिल हैं जो राजनीतिक शासकों, मंदिरों, कॉर्पोरेट समूहों और अन्य से संबंधित कानूनी लेनदेन, दान, अनुबंध, आदेश आदि का विवरण रखते थे।

    पूर्व-आधुनिक भारत में न्यायालयों की कोई औपचारिक सामान्य श्रृंखला नहीं थी प्रत्येक न्यायालय संभवतः एक मुकदमे की अदालत और एक सौदे की अदालत दोनों के रूप में काम करता था। आपराधिक मामलों की सुनवाई शासक की अदालत, पंचायतों, परिषदों द्वारा कर अनुशासन प्रख्यापित किए जाते थे। प्रादेशिक व स्थानीय कानूनों  की व्यापक असमानता थी परन्तु व्यक्तिगत कानून नहीं थे।

    कानून के कई हिस्से सस्थाओं या अन्य कॉर्पोरेट सभाओं के अधिकार क्षेत्र में थे, उदाहरण के लिए, विक्रेता संगठन, सैन्य,  व्यापारी और धार्मिक सभाएँ अनुरोध आदी। विवाह आदी के संबंध में प्रथाओं पर बहस असंगठित या असंरचित स्थानीय पंचायतों पर होती थी,  सभी सस्थाओं के मध्य समांन्जस्य नही था व स्थिति हतोत्साहित करने वाली थी। कुछ संस्थाओं में अलगाव (तलाक) और पुनर्विवाह की अनुमति थी। सभी सस्थाओं ने बहुविवाह की अनुमति दी थी। पंचायतों द्वारा स्थायी दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर नियन्त्रण नही था।

    ऐतिहासिक सन्दर्भ में हिन्दू कानूनों से आशय ब्रिटिशकाल मे भारत के हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों, और सिखों पर लागू होने वाले कानूनो से हैे। वस्तुतः हिन्दू कानून या हिन्दू लॉ शब्द उपनिवेशी शासन की देन है। इसकी शुरुआत १७७२ ई में तब हुई जब ब्रिटिश अधिकारियों ने यह निर्णय लिया कि भारत में कॉमन लॉ लगाने के बजाय हिन्दुओं के लिए हिन्दू कानून और मुसलमानों के लिए मुस्लिम कानून (शरियत) लागू की जाएगी। 

    आधुनिक हिन्दू कानून का प्रख्यापन निम्न कानूनो के अन्तर्गत  है ।

  • शास्त्रीय हिन्दू कानून (क्लासिकल हिन्दू लॉ)
  • आंग्ल-हिन्दू कानून (ऐंग्लो-हिन्दू लॉ)
  • आधुनिक हिन्दू कानून

आधुनिक हिन्दू कानून

  • हिंदू  संस्कृति व धर्म विश्व का सर्वाधिक उपयोगी प्रचलित व प्रचीनतम है, भारत देश मे कानूनो में संशोधन की गति अति न्यून है। कानूनों में संशोधन या बदलाव समाज की आवश्यकता के कारण समय समय पर किए गए हैं। 
  • हिन्दू कानून मे बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध आदि कमियंा थीं, हिंदू कानून मे सभी समाज की आवश्यकता के अनुरुप आवश्यक पुनरीक्षण करके सर्वग्राहिता व समानता  प्रदान की गई हैं ।
  • हिंदू कानून का विकास 1829 में राजा राम मोहन राय द्वारा सती प्रथा पर प्रतिबंध से आरम्भ हुआ माना जाता था। हिंदू कानून में हिंदू विवाह, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, अल्पसंख्यक और संरक्षकता, दत्तक पुत्र ग्रहण और रखरखाव अधिनियम आदी के प्रख्यापन से समाज मे समानता की स्थापना की गयी  हैं। 
  • हिंदू कानून मे  दहेज की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण दहेज संबंधित बहुत वाद प्रख्यापित होते थे परन्तु कानून बनने के बाद दहेज विवादो की सख्यां में कमी आई है। 
  • आधुनिक हिन्दू कानून केवल भारत की हिंदू जनसंख्या पर लागू हैं परन्तु आजतक हिंदू परिभषित नही है ।क्या ?
    • हिन्दू  या हिन्दू  परिवार में पैदा हुए लोग हिंदू है 
    • किसी भी धर्म का पालन न करने वाले लोग हिन्दू  हैं 
    • जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तित कर हिन्दू  कर लिया है हिन्दू है ।
    • धर्म को फिर से बदल कर के हिन्दु कर लिया हैं  ।
    • हिन्दू महिला या पुरुष से विवाह कर लिया है हिन्दू है ।
  •  हिंदू पौराणिक कथाओं की अनेक परम्पराये नैतिक और सांस्कृतिक रूप से सही नही हैं परन्तु हिन्दू पालन करते थे। समाज में इसे रोका जाना चाहिए। सर्वाधिक शादी से पहले और शादी के बाद से जुड़ी हैं। आधुनिक हिन्दू कानून इसपर सबसे ज्यादा ध्यान दे कर कानून में संशोधन किया गया है।
  • आधुनिक हिन्दू  कानून में शादी के लिए लडके की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए। इस उम्र से कम उम्र पर विवाह करना कानूनन अपराध है। जो पूर्व के कानून मे नही था ।
  • समलैंगिक विवाह अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, रूस जैसे 32 देशों मे वैध है। भारत रूढ़िवादी समाज है भारतीय समाज इस संस्कृति को स्वीकार नहीं करता है । समलैंगिक विवाह हमारे देश के कानून के संरक्षण मे है परन्तु समाज को स्वीकार नही है ।
  • बच्चे को गोद लेने विषयक  द एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट 1956 एकल माता-पिता, दंपति व उन महिलाओं के लिए जो गर्भवती नहीं हो सकती हैं वे बच्चे को गोद लेने का अधिकार देता हैं ।यह  अधिनियम बच्चों के लिए भी लाभकारी है। इस अधिनियम के पहले गोद लेना वैध नहीं था, लेकिन अधिनियम के बाद व्यक्ति को वैध माता-पिता बनाया जा सकता है, चाहे वे युगल या एकल माता-पिता हों।
  •  आधुनिक हिन्दू कानून समाज मे  सर्वग्राहिता व समानता  प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त है लेकिन समस्या यह है कि समाज में कानून का ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। समाज की समस्या को अदालत में मामला दायर करते हैं और अदालत  समस्या का समाधान करती है जो समाज को स्वीकार नही है। 
  • आधुनिक हिन्दू कानून  के प्राचीन स्रोतों में रीति-रिवाज, वेद, श्रुति, स्मृति, उपनिषद,  मिताक्षरा और दयाभाग आदि हैं आधुनिक स्रोतो में केस कमेंट कानून, मुकदमो के अच्छे परिणाम, समानता, न्याय आदी है। पूर्व हिन्दू कानूनो मे पुनरीक्षण कर निम्न  कानून भी प्रतिपादित  किए गए हैं
    • हिन्दू  विधवा पुनर्विवाह अधिनियम वर्ष 1856
    • बाल विधवा निवारण अधिनियम वर्ष 1929
    • हिन्दू महिलाओं का संपत्ति का अधिकार अधिनियम वर्ष 1930
    • हिन्दू महिलाओं का अलग निवास और भरण-पोषण का अधिकार अधिनियम वर्ष 1946
    • हिन्दू  उत्तराधिकार अधिनियम वर्ष 1956
    • हिन्दू  विवाह अधिनियम वर्ष 1955
    • हिन्दू  दत्तक पुत्र ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम वर्ष 1956
    • हिन्दू  अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम वर्ष 1956


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