भूमि के प्रति अतिचार एवम उसके अवश्यक तत्व

डा. लोकेश शुक्ला 9450125954



    भूमि, भवन या परिसर पर बिना किसी विधिक औचित्य के अनाधिकृत प्रवेश ही भूमि के प्रति अतिचार का अपकृत्य है ।  भूमि, भवन या परिसर के साथ हस्ताक्षेप प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनो प्रकार से होता है किसी की भूमि पर पत्थर फेकना या अनधिकृत पेड लगाना भूमि के प्रति अतिचार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उदाहरण है परन्तु इलेक्ट्रिक या जल आपूर्ति काट देना भूमि के प्रति अतिचार नही है । 

  1. भूमि के प्रति अतिचार के आवश्यक तत्व निम्न है 

1. किसी भूमि, भवन या परिसर पर प्रवेश 

2. यह प्रवेश बिना विधिक औचित्य के हो 

3. भूमि के प्रति अतिचार करने के प्रति अपकृत्य है

4. भूमि के प्रति अतिचार स्वतः अनुप्रयोज्य है ।

1. किसी भूमि, भवन या परिसर पर प्रवेश 

        किसी की भवन या परिसर पर प्रवेश प्रत्यक्ष रुप से या किसी भौतिक वस्तु के माध्यम से किया जा सकता है । यदि किसी की  भूमि, भवन या परिसर पर चल कर जाता  है  यह  भूमि, भवन या परिसर पर प्रत्यक्ष प्रवेश है । या मै अपने पशु को किसी की भूमि पर प्रवेश करा देता हॅू यह भी प्रत्यक्ष प्रवेश है । परन्तु यदि मै किसी व्यक्ति की भूमि पर पत्थर फेकता हॅू या घुआ या बारीक कण या दूषित पानी या वायु प्रवेश् कराता हॅू यह उसकी भूमि पर अप्रत्यक्ष या किसी माध्यम से प्रवेश कराना है ।

    अनुमति की सीमा का उलंघन भी भूमि के प्रति अतिचार अपकृत्य होगा यह किसी व्यक्ति को बैठक मे आमन्त्रित करता किया गया है वह शयनकक्ष मे अन्यन्त्र प्रवेश करता है तो यह भूमि के प्रति अतिचार का अपकृत्य है । परन्तु यदि क्षेत्रो का उचित सीमांकन नही हुआ है तो यह भूमि के प्रति अतिचार ही होगा ।

यदि भमि का कब्जाधारी, अतिचार के कई मामलो मे चुप रहता है तो प्रवेश करने वाला व्यक्ति अतिचारी नही रह जाता है।

माधव विट्ठल कुटवा बानाम माधवदास वल्लभ दास (ए. आई. आर. बम्बई 49) वाद मे बम्बई उच्च न्यायलय ने निर्णय दिया कि बहुमंजिली इमारतो मे उपरी मंजिलेा पर रहने वाले व्यक्ति का अधिकार है  वह नीचे उपलब्ध स्थान पर अपने वाहन खडा करे तथा ऐसा करने से वे अतिचारी नही माने जा सकते ।

2. भूमि, भवन या परिसर पर अनिधिकृत प्रवेश 

    किसी भूमि, भवन या परिसर पर अनिधिकृत प्रवेश भूमि के प्रति अतिचार के अपकृत्य मे अच्छा बचाव है। यदि किसी भूमि भवन या परिसर पर प्रवेश अनुज्ञापित, आमन्त्रण या विधिपूर्ण औचित्य के साथ है तो यह अतिचार का अपकृत्य नही होगा । इस प्रकार यदि एक पुलिस अधिकारी किसी उपयुक्त अधिकारी के आदेश के अन्र्तगत गिरफतारी या जांच के लिये किसी भूमि, भवन या परिसर पर प्रवेश करता है तो यह प्रवेश विधिक औचित्य के अंतर्गत या अधिक्रत प्रवेश माना जायेगा, आमन्त्रण मौखिक या लिखित हो सकता है ।

3. भूमि के प्रति अतिचार कब्जे के प्रति अपकृत्य है न कि स्वामित्व के प्रति 

    भूमि के प्रति अतिचार स्वामित्व के प्रति अपकृत्य नही है यह अपकृत्य कब्जे के विरोध मे अपकृत्य नही है अर्थात वही व्यक्ति जिसके कब्जे मे भूमि या भवन है वही अतिचार के अपकृत्य के लिये वाद ला सकता है अर्थात वही व्यक्ति जिसके कब्जे मे भूमि या भवन है वही अतिचार के अपकृत्य लिये वाद ला सकता है अर्थात एक किरायेदार जो किसी भवन या भूमि के कब्जे मे है उस भूमि या भवन के स्वामि के विरुदध भी अतिचार के लिये वाद ला सकता है। यदि भूस्वमि ने किरायेदार के अत्याधिक कब्जे का अतिक्रमण किया है अर्थात अनाधिकृत प्रवेश किया है ।

    उसी प्रकार एक भूमि का पटटाधारी, उस भूमि के पटटाकर्ता के विरोध मे भूमि के प्रति अतिचार के लिये वाद ला सकता है यदि पटटाधरी के भूमि का अतिक्रमण पटटाकर्ता द्वारा किया जाता है  ।

    ग्राहम बनाम पीट (1801) 1 ईस्ट 24 नामक वाद मे वादी पटटे के अन्र्तगत भूमि धारण करता था वह पटटा शून्य था परन्तु भूमि के क्ब्जे का अतिक्रमण पटटाधारी वादी के कब्जे मे थी परन्तु उसे उस व्यक्ति के प्रति अतिचार के लिये वाद लाने का अधिकारी था जो उस भूमि का अनिदधकृत प्रवेश करता है क्योकि कोई भी कब्जा अपकृत्य कर्ता के विरोध मे वैध कब्जा है ।

    इसी प्रकार एक व्यक्ति जो कब्जाधरी है अतिचार के लिये वाद ला सकता है भले ही उसका कब्जा त्रुटिपूर्ण हो परन्तु उक भूस्वामि कब्जाधरी नही है तो वह भूमि के प्रति अतिचार के लिये वाद नही ला सकता है ।

4. भूमि के प्रति अतिचार स्वतः अनुप्रयोज्य है  

        भूमि के प्रति अतिचार स्वतः अनुप्रयोज्य है  इसका तात्पर्य यह है कि अतिचार के अपकृत्य के प्रतिकर प्राप्त करने हेतु यह साबित करना आवश्यक नही है कि आशय, जानकारी या द्वेष के सबूत के अ्रभाव मे भी वादी सफल होता है यहाॅ वादी को सिर्फ वही साबित करना होता है कि उसके भूमि भवन या परिसर पर किसी व्यक्ति ने बिना किसी विधिक औचित्य के प्रवेश किया था, भूमि के प्रति अतिचार मे वादी को कोई क्षति या नुकसान साबित करना आवश्यक नही है किसी सम्पत्ति पर प्रत्येक आक्रमण चाहे एक मिनट के लिये ही क्यो न हो अतिचार है। प्रतिवादी की ओर से ईमानदारी पूर्वक की गयी भूल किसी व्यक्ति को भूमि के प्रति अतिचारी को दोषी बनाती है । इस प्रकार यदि एक व्यक्ति एक भूमि को अपनी मानकर भी अनाधिकृत प्रवेश करता है तो वह अतिचार का दोषी होगा । यदि कोई व्यक्ति अपरिहार्य दुर्घटना के अन्र्तगत प्रवेश करता है तो वह एक अच्छा बचाव हो सकता है ।

अतिचार के विरुद्ध उपचार

1. भूमि पर पुनः प्रवेशः

2. बेदखली के लिये वाद 

3. मध्यवर्ती लाभ के लिये वाद

4. अतिचारी को पकडे रखना 

  1. भूमि पर पुनः प्रवेशः- इस उपचार के अन्र्तगत वादी को यह अधिकार है कि वह उचित बल का प्रयोग कर अतिचारी को बाहर निकाल कर अपनी भूमि पर पुनः प्रवेश कर सकता है ।
  2. बेदखली के लिये वादः वादी अतिचारी को बेदखल करने की विधिक प्रक्रिया प्रारम्भ कर सकता है ।
  3. मध्यवर्ती लाभ के लिये वाद: यदि एक अतिचारी भूमि पर कोई लाभ अतिचार की अवधि मे कमा लेता है तो वादी को यह अधिकार है कि उस मध्यावर्ती लाभ को अतिचारी से प्राप्त करे ।
  4. अतिचारी को पकडे रखनाः  यदि किसी व्यक्ति के पशु ने अतिचार का अपकृत्य किया है तो वादी को यह अधिकार है कि वह पशु को जब तक पकडे रख सकता है जब त कवह अपना प्रतिकर उसे स्वामी से वसूल न कर लै ।


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