मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी
त्रिवेदी को चेतावनी अगर भुगतान नहीं किया गया तो वह अपना पद खो देंगे।वरुण ने त्रिवेदी के वाहन से एम्बुलेंस को टकराने की धमकी
भारतीय न्याय सहित की धारा 356
धारा 351धारा 308 के अन्तर्गत अपराध
डकैती धारा 309
चोरी धारा 303
छीना-झपटीधारा 304
आपराधिक धमकी धारा 351
हत्या का प्रयास धारा 309
कानपुर 5 मार्च 2025,
5 मार्च 2025, कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) विजय त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि एक जबरन वसूली करने वाले ने उन्हें पांच लाख रुपये की फिरौती के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है।
पुलिस के अनुसार आरोपी वरुण प्रताप सिंह मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय सनातन सेना , ने 27 जनवरी को त्रिवेदी से संपर्क किया और पैसे की मांग की। जब त्रिवेदी ने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो वरुण ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी प्रसारित करने की धमकी दी ताकि वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो सके। आरोपियों ने गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी और त्रिवेदी को चेतावनी दी कि अगर भुगतान नहीं किया गया तो वह इसके लिए अपना पद खो देंगे।
वरुण ने त्रिवेदी के वाहन से एम्बुलेंस को टकराने की धमकी दी।
स्वरूपनगर के निरीक्षक सूर्यबली पांडे ने पुष्टि की कि त्रिवेदी की शिकायत के आधार पर मौत की धमकी और मानहानि के माध्यम से जबरन वसूली से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपियों को पकड़ने के लिए काम कर रही है। पुलिस आयुक्त ने अधिकारियों को मामले में तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
मानहानि एक कानूनी अपराध है। इसमें किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को झूठी या अपमानजनक बातों से नुकसान पहुंचाया जाता है। इस तरह की बातें लिखित या मौखिक हो सकती है। भारतीय कानून में मानहानि के मामलो में सिविल या क्रिमिनल दोनों तरह की कार्रवाई की जाती है।
भारतीय न्याय सहित में मानहानि का क्या कानूनी प्रावधान है?
मानहानि को भारतीय न्याय सहित की धारा 356 के तहत परिभाषित किया गया है। कि कोई भी व्यक्ति अपने शब्दों के द्वारा चाहे बोलके या लिखकर, संकेतो या चित्रों के द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में ऐसा बोलता है या आरोप लगाता है जिससे उसकी प्रतिस्ठा को नुकसान पहुँचता है या उसे यह पता हो या कारण कि ऐसा आरोप उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाएगा तो मानहानि कहा जाएगा, सिवाय उन मामलों के जो बाद में बताए गए हैं।
जब कोई व्यक्ति किसी कि प्रतिस्ठा को नुकसान पहुँचता है, उसे साधारण कारावास की सजा दी जाएगी जो दो साल तक हो सकती है, या जुर्माना लगाया जा सकता है, या दोनों सजा दी जा सकती है, या समाज सेवा का कार्य भी लिया जा सकता है।
आई.पी.सी के अनुसार आपराधिक धमकी को धारा 503 के तहत परिभाषित थी अब बी.एन.एस की धारा 351(1) के तहत परिभाषित किया गया है ।
भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 351(1) के तेह्त अपराधी धमकी तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी को डराने के लिए धमकी देता है, ताकि वह व्यक्ति कुछ ऐसा करे जो उसे करना नहीं चाहिए या कुछ ऐसा न करे जो उसे करने का अधिकार है। यह धमकी व्यक्ति की सुरक्षा, प्रतिष्ठा, या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की होती है, या किसी प्रियजन को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है। इसका मकसद होता है कि व्यक्ति डरकर उस धमकी को टालने के लिए ऐसा काम करे या न करे।
उदाहरण के लिए, अगर A ने B को धमकी दी कि अगर वह अपना कानूनी मुकदमा नहीं हटाता, तो A उसके घर को आग लगा देगा, तो यह अपराधी धमकी है। इस मामले में, A अपराधी धमकी का दोषी पाए जाएगा क्योंकि उसने B को उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी और उसे एक ऐसा काम (मुकदमा न दायर करने) से रोकने की कोशिश की, जो कि B को कानूनी रूप से करने का अधिकार है।
यह अपराध जमानत मिलने योग्य होता है, इसे पुलिस बिना वॉरंट के नहीं पकड़ सकती, और इसे मजिस्ट्रेट के सामने ही सुना जाता है।
धारा 351 की अनिवार्य शर्तो के अन्तर्गत अपराधी धमकी तब होती है जब कोई व्यक्ति दूसरे को उसकी जान, संपत्ति, या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है।जिस व्यक्ति के प्रति पीड़ित की कोई दिलचस्पी हो, उसे डराने के इरादे से धमकी देना। पीड़ित को उसकी इच्छा के खिलाफ कुछ करने के लिए मजबूर करना।उसे अपने कानूनी काम करने से रोकना ताकि धमकी पूरी न हो सके।
धारा 351(2) के अनुसार भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351 के अन्तर्गत अपराधी धमकी देने पर इस धारा के अन्तर्गत दोषी को दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों सज़ाएँ मिल सकती हैं। यह सजा तब भी लगाई जाएगी अगर आरोपीके अन्तर्गत ही दे। पहले ये आईपीसी की धारा 506 के अन्तर्गत परिभाषित था।
धारा 351(3) के अनुसार अगर कोई व्यक्ति धमकी देता है कि वह मौत, गंभीर चोट पहुंचाएगा, या आग से संपत्ति को नष्ट करेगा, या ऐसा अपराध करेगा जिसकी सजा मौत या जीवनभर की जेल हो सकती है, या सात साल तक की जेल हो सकती है, या किसी महिला की चरित्रहीनता का आरोप लगाएगा, तो उसे कड़ी सजा मिल सकती है। ऐसी धमकियों पर दोषी पाए जाने पर, उसे सात साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों सज़ा मिल सकती है। ये भी आईपीसी की धारा 506 के तेहत परिभाषित था।
धारा 351(4) के अनुसार अगर कोई व्यक्ति धमकी देने के लिए गुमनाम रूप से या अपनी पहचान और जगह छुपाकर धमकी भेजता है, तो उसे अतिरिक्त सजा मिल सकती है। ऐसे व्यक्ति को सामान्य सजा के अलावा, पहचान छुपाने के लिए दो साल तक की जेल की सजा भी मिल सकती है। पहले ये आईपीसी की धारा 507 के अंतर्गत परिभाषित था
जबरन वसूली एक ऐसा अपराध है जिसमें कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को डरा धमकाकर या बल प्रयोग करके उससे धन या संपत्ति हासिल करने का प्रयास करता है। यह अपराध न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है बल्कि पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। ।
किसी की मेहनत की कमाई को डरा-धमका कर छिन लेना बहुत ही गंभीर अपराध है पहले, इस तरह के मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 383 से 389 का इस्तेमाल होता था। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के अंतर्गत धारा 308 लगाई जाने लगी है।
नई धारा 308, जबरन वसूली को और गंभीर अपराध मानती है और इसमें सख्त सजा का प्रावधान है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308 जबरन वसूली (Extortion) से संबंधित है। अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को डराने-धमकाने की कोशिश करता है ताकि वह उससे संपत्ति या कोई कीमती चीज़ जबरदस्ती हासिल कर सके तो अपराध माना जाएगा।
धारा 308 में जबरन वसूली को कई तरह के गंभीर तरीकों के आधार पर इसकी 7 उपधाराओं द्वारा बताया गया है, -बीएनएस धारा 308 (1):- "जबरन वसूली" एक ऐसा अपराध है जिसमें कोई व्यक्ति जानबूझकर (Intentionally) किसी दूसरे व्यक्ति को डराकर या धमका कर उसे कुछ देने के लिए मजबूर करता है। इस डर के चलते, पीड़ित व्यक्ति अपनी संपत्ति, पैसे, या किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज (Important Documents) को दे देता है।
बीएनएस धारा 308 (2):- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली (Extortion) करता है, यानी किसी को डराकर या धमकाकर उसकी संपत्ति, पैसे, या महत्वपूर्ण दस्तावेज लेता है, तो उस व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर धारा 308(2) के तहत सजा दी जाती है।
बीएनएस सेक्शन 308 (3): अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली करने के लिए किसी को डराता (Scares) है या उसे किसी तरह की चोट (Injury) पहुँचाने के डर में डालता है, तो उस पर धारा 308(3) लागू की जाती है। उदाहरण:- अगर कोई व्यक्ति किसी को चोट पहुंचाने की धमकी (Threat) देता है ताकि वह अपनी कीमती चीजें दे दे, तो उसे इस अपराध के तहत सजा मिल सकती है।
बीएनएस सेक्शन 308 (4):- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली के लिए किसी को मौत या गंभीर चोट (Death Or Serious Injury) का डर दिखाता है या ऐसा करने का प्रयास करता है, तो उसे सेक्शन 308(4) के तहत सजा मिल सकती है।
बीएनएस सेक्शन 308 (5):- जब कोई व्यक्ति किसी को मौत या गंभीर चोट का डर दिखाकर जबरन वसूली करता है, तो इसे उस व्यक्ति को इस उपधारा (Sub-Section) के तहत दंडित किया जाएगा।
बीएनएस सेक्शन 308 (6):- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली के लिए किसी को डराता है और कहता है कि वह उस पर या किसी और पर गंभीर अपराध करने का आरोप (Blame) लगाएगा, जैसे कि हत्या या आजीवन कारावास की सजा वाले अपराधों के आरोप। ऐसे व्यक्ति पर धारा 308(6) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
बीएनएस सेक्शन 308 (7):- जब कोई व्यक्ति धमकाता है कि वह तुम्हें या किसी और को गंभीर अपराध का आरोपी बना देगा, या किसी को ऐसा अपराध करने के लिए उकसाएगा तो उस पर सेक्शन 308(7) के तहत कार्यवाही की जाती है।
जबरन वसूली की धारा के आवश्यक तत्व क्या हैं?डराना: अपराधी जानबूझकर पीड़ित (Victim) को डराता है, जैसे उसे मारने की धमकी देना, या उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।
पैसे या चीज़ लेना: अपराधी का मुख्य काम पीड़ित से पैसे या कोई कीमती चीज़ लेना होता है।
गलत तरीके से दबाव डालना: अपराधी पीड़ित पर गलत तरीके से दबाव डालता है, जैसे उसे बदनाम करने की धमकी देना या उसके बारे में झूठी बातें फैलाने की धमकी देना।
मजबूरी में देना: इस अपराध के चलते पीड़ित डर के मारे पैसे या कोई संपत्ति देता है।
जबरन वसूली (Extortion) के अपराध का उदाहरण
एक छोटे से शहर में गोयल नाम का एक दुकानदार अपनी दुकान चलाता था। उसकी दुकान काफी लोकप्रिय थी और उसमें हर रोज बहुत से ग्राहक आते थे। एक दिन वह रात के समय जब अपनी दुकान को बंद कर रहा था, तो उसके पास अचानक से गोडसे नाम का एक बदमाश आ जाता है। गोडसे ने गोयल को धमकाते हुए कहा, "अगर तुमने मुझे 50,000 रुपये नहीं दिए तो मैं तुम्हारी दुकान में तोड़फोड़ कर दूंगा और तुम्हें जान से मार दूंगा।"
गोयल बहुत डर गया और उसने श्याम को 50,000 रुपये दे दिए। यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे सुमित ने गोयल को डराकर उससे पैसे लिए। इस मामले में गोडसे ने धारा 308 के तहत जबरन वसूली का अपराध किया है क्योंकि उसने गोयल को डराकर उससे पैसे लिए हैं।
कुछ कार्य जिनको करना BNS 308 का अपराधी बना सकता है पैसे या अन्य किसी वस्तु की माँग के लिए किसी व्यक्ति को शारीरिक नुकसान (Physically Harm) पहुंचाने या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।
जबरन वसूली करने के ले किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने या उसे बदनाम करने की धमकी देना।
जबरदस्ती पैसों की मांग के साथ किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देना। पैसा या कोई वस्तु ना देने पर किसी व्यक्ति को किसी अपराध में फंसाने की धमकी देना।किसी व्यक्ति के परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।
भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 308 में जबरन वसूली के अपराध की सजा को इसकी 7 उपधाराओं (Sub-Sections) में विस्तार से अपराध की गंभीरता के आधार पर बाँटा गया है जो कि इस प्रकार है:-उपधारा 308 (2) की सजा:- इसके अनुसार बताया गया है कि जो भी व्यक्ति जबरन वसूली के अपराध को करने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे न्यायालय द्वारा धारा 308(2) के तहत 7 वर्ष की कारावास व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
उपधारा 308 (3) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली के लिए किसी को डराने या चोट पहुँचाने का डर दिखाने का दोषी पाया जाएगा। उस पर 2 वर्ष तक की जेल व जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।
उपधारा 308 (4) की सजा:- जब कोई व्यक्ति जबरन वसूली करने के लिए गंभीर चोट पहुँचाने का डर दिखाने के अपराध का दोषी होगा। उसे उसके किए गए अपराध के लिए 7 वर्ष तक की जेल व जुर्माने की सजा (Punishment) दी जा सकती है।
उपधारा 308 (5) की सजा:- जो भी व्यक्ति जबरन वसूली के लिए मौत का डर बनाकर इस अपराध को करने का दोषी होगा उसे 10 वर्ष की जेल व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
उपधारा 308 (6) व 308 (7) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को किसी गंभीर अपराध में फंसाने की धमकी देने का या किसी को उकसाने का अपराध करता है। तो उस पर 10 वर्ष की कारावास (Imprisonment) की सजा व जुर्माना लगाकर दंडित (Punished) किया जा सकता है।
बीएनएस सेक्शन 308 के अंतर्गत जबरन वसूली अपराध संज्ञेय (Cognizable) होता है। संज्ञेय अपराध में पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही कर सकती है। इस धारा में जमानत (Bail) का फैसला अपराध की गंभीरता के आधार पर ही लिया जा सकता है, यदि आरोपी ने ज्यादा गंभीर अपराध किया है तो जमानत मिलना मुश्किल हो सकता है। इस धारा के अंतर्गत अपराध की सुनवाई किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
जबरन वसूली के अपराध से संबधित अन्य धाराएं:
डकैती (BNS 309)
चोरी (BNS 303)
छीना-झपटी (BNS 304)
आपराधिक धमकी (BNS 351)
हत्या का प्रयास (BNS 309)